Wednesday 2 May 2018

खून से लथपथ बच्चे मांग रहे थे मदद

बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि देश के स्कूली बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जान के जोखिम के बीच हो रही है। जिस दिन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में स्कूली बच्चों को ले जा रहा वाहन मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर एक ट्रेन की चपेट में आ गया और 13 बच्चों की मौत हो गई, उसी दिन दिल्ली के केशवपुरम इलाके में भी इसी से मिलता-जुलता एक हादसा हुआ। फर्प यह था कि बच्चों को ले जा रहे इस वाहन की टक्कर एक टैंकर से हो गई जिसमें एक साल की बच्ची की जान चली गई और 17 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। ड्राइवर का ईयरफोन लगाए रखना और रेड लाइट पर गलत साइड से टर्न करना हादसे की वजह बन गया। केशवपुरम के केंद्रीय विद्यालय और सर्वोदय कन्या विद्यालय के 18 बच्चों को ड्राइवर विजय (20) गुरुवार सुबह स्कूल लेकर जा रहा था, प्राइवेट वैन कन्हैया नगर मेट्रो स्टेशन के नजदीक पहुंची थी कि तभी तेज रफ्तार से आए दूध के टैंकर ने उसे टक्कर मार दी। हादसा इतना भयानक था कि वैन ने तीन बार पलटी खाई। टक्कर के बाद एकाएक धड़ाम की आवाज आई और कुछ ही देर में बच्चों की चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। लोगों की भीड़ ने दबे हुए बच्चों को निकाला। इसके बाद कुछ लोगों ने वैन को सीधा कर एक-एक कर बच्चों को निकालकर सड़क पर बिठा दिया। ऑटो चालक इकबाल फौरन अपने ऑटो से कुछ बच्चों को दीपचन्द अस्पताल ले गया। अन्य लोग भी बच्चों को अलग-अलग वाहन से अस्पताल ले गए। चश्मदीदों के मुताबिक खून से लथपथ बच्चे तड़प रहे थे लेकिन भीड़ में कुछ लोग मोबाइल से वीडियो बनाने में लगे हुए थे। बच्चों को ले जा रहा वाहन 16 साल पुराना था और पहले ही जर्जर हालत में था। इसके बावजूद उसमें 18 बच्चों को भरकर ले जाया जा रहा था। स्कूली बच्चों को ले जाने वाली निजी वैन के ड्राइवर आमतौर पर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते, यही वजह है कि ऐसे वाहन हादसों का शिकार होते हैं। वर्ष 2016 में भी बाहरी दिल्ली के ही बुराड़ी इलाके में स्कूली बच्चों को ले जा रही वैन चालक द्वारा तेज रफ्तार में मोड़ देने के कारण गहरे नाले में जा गिरी थी। यह गनीमत रही थी कि बच्चों की चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोगों ने सभी को सुरक्षित निकाल लिया था। स्कूली बच्चों को ले जाने वाली निजी वैन सही भी है यह जिम्मेदारी स्कूल अथारिटी की बनती है। उसमें कितने बच्चे जाने हैं यह भी उन्हें तय करना है। मां-बाप की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह यह देखें कि जिस वैन में बच्चे जा रहे हैं वह हर तरह से फिट भी है या नहीं? उसमें कितने बच्चे जा सकते हैं? और निजी वैन चालक यातायात नियमों का पालन करें यह जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की बनती है। यातायात पुलिस को चाहिए कि वह समय-समय पर स्कूली वैन को चैक करें और बच्चों व मां-बाप को भी जागरूक करें। इस हादसे से अत्यंत दुख हुआ।

-अनिल नरेन्द्र

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