Sunday 8 April 2018

भारतीय फिल्में चीन की दीवार फांदने में कामयाब

अगर हम राज कपूर की फिल्में छोड़ दें तो चीन भारतीय फिल्मों का कभी बड़ा बाजार नहीं रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय से लगता है कि चीन के दर्शकों को भारतीय फिल्में भाने लगी हैं। राज कपूर की फिल्में रूस में भी बहुत लोकप्रिय थीं। पर चीन में पहले किसी भारतीय फिल्म की ज्यादा चर्चा नहीं सुनी थी। जब जैकी चैन भारत आए थे तब उन्होंने कहा था कि मैं भारत के बारे में तीन ही चीजों को जानता हूंöएक आमिर खान, दूसरा थ्री इडियट्स और तीसरा बॉलीवुड का डांस। जैकी चैन ही क्यों, विश्व के कोने-कोने में लोग भारत को उसकी फिल्मों से जानते-पहचानते आए हैं। एक समय था जब राज कपूर, मिथुन चक्रवर्ती की फिल्में सोवियत संघ में बहुत लोकप्रिय थीं। अमिताभ बच्चन की फिल्मों ने भी मध्य एशिया में बहुत लोकप्रियता पाई। शाहरुख खान को यूरोप में काफी लोकप्रियता मिली लेकिन चीन हमारी फिल्मों का कभी बड़ा बाजार नहीं रहा। लेकिन लगता है कि समय के साथ उसमें परिवर्तन आ रहा है और अब हमारी कई फिल्में चीन के बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों की कमाई कर रही हैं। इस वर्ष रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान तीन हफ्तों में चीन के बॉक्स ऑफिस पर 250 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है और यह पहली फिल्म नहीं है जिसने पड़ोसी देश में रिकार्ड कमाई की हो। इससे पहले आमिर खान की थ्री इडियट्स, पीके, दंगल और सीकेट सुपर स्टार भी करोड़ों की कमाई कर चुकी हैं। इरफान खान की हिन्दी मीडियम तीसरी भारतीय फिल्म होगी जो इस साल में चीन में रिलीज होगी। हिन्दी मीडियम चार अप्रैल को रिलीज हुई। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा पर गए थे, तब वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उनसे दंगल फिल्म का जिक्र किया था। अब सवाल यह है कि आखिर चीन के लोगों को हमारी फिल्में इतनी पसंद क्यों आती हैं? जबकि यह जगजाहिर है कि भारत और चीन एक-दूसरे के दुश्मन हैं और समय-समय पर दोनों देशों का मामला लड़ाई के स्तर तक पहुंच जाता है। दंगल को वहां नौ हजार थियेटरों में रिलीज किया गया था। चीन में सबसे ज्यादा दंगल देखी जाने वाली हिन्दी फिल्म है। शायद इस फिल्म में चीनी दर्शकों को अपनी जिन्दगी की झलक दिखती है। यहीं सलमान खान की बजरंगी भाईजान की सफलता से पता चलता है कि वहां के दर्शक एक खास तरह की फिल्मों को देखने के भूखे हैं, जो समाज को एक खास संदेश दें। चुनिन्दा भारतीय फिल्मों को चीन में सफलता मिलने से लगता है कि भारतीय फिल्में चीन की दीवार फांदने में कुछ हद तक कामयाब हो गई हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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