Tuesday 17 April 2018

जोर-आजमाइश का अखाड़ा बन रहा सीरिया

सीरिया में संदिग्ध रासायनिक हमलों के जवाब में अमेरिका के नेतृत्व में ब्रिटेन और फ्रांस ने शनिवार सुबह चार बजे सीरिया पर हमला कर दिया। करीब एक घंटे के भीतर 120 मिसाइलें दागी गईं। सीरिया की राजधानी दमिश्क और होम्स प्रांत को निशाना बनाया गया। अमेरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने कहा कि हमले में हुए नुकसान का अभी आकलन नहीं किया गया। आगे और हमले करने की संभावना पर कहा कि फिलहाल यह एकमात्र हमला है। इस हमले के विरोध में और राष्ट्रपति असद के समर्थन में सैकड़ों लोग सुबह राजधानी दमिश्क की सड़कों पर उतर आए और ओमाय्याद चौक पर एकत्र होकर सीरियाई, रूसी और ईरानी झंडे फहराए। सीरियाई सरकार ने तीन लोगों के घायल होने की पुष्टि करते हुए किसी की मौत से इंकार किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमने इन हमलों से सीरियाई राष्ट्रपति असद के रासायनिक हथियारों के 20 प्रतिशत जखीरे को तबाह कर दिया। उधर सीरियाई सेना और रूस ने दावा किया कि दो-तिहाई मिसाइलों को हवा में तबाह कर दिया गया। इनमें हवाई ठिकानों की तरफ आ रही 14 मिसाइलें भी हैं। हमला नाकाम रहा। यह अमेरिका का सीरिया पर एक साल में दूसरा बड़ा हमला है। सैन्य एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस संयुक्त हमले में करीब 1700 करोड़ रुपए की मिसाइलें दागी गईं। सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद के खिलाफ सात साल पहले शुरू हुआ शांतिपूर्ण विद्रोह गृहयुद्ध में बदल गया है। सात साल पहले सीरियाई नागरिक बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वतंत्रता पर अंकुश की शिकायत के साथ सड़कों पर उतरे थे। रासायनिक और मिसाइलों के हमले से दुनिया के कई देश दो धड़ों में बंट गए हैं। एक धड़ा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ खड़ा नजर आता है तो दूसरा असद के समर्थन में रूस के साथ सुर मिला रहा है। अमेरिका के साथ फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, तुर्की, जॉर्डन, सऊदी अरब, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, इजरायल, स्पेन समेत कई देश साथ हैं। दूसरी ओर राष्ट्रपति असद का समर्थन कर रहे रूस के साथ ईरान और चीन हैं। इन देशों ने हमले का विरोध किया है। अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की ओर से सीरिया में शनिवार सुबह हमलों का वैसे तो एक हफ्ते पहले हुए रासायनिक हमलों के जवाब में की गई कार्रवाई बताया जा रहा है लेकिन गृहयुद्ध की आग में जल रहा सीरिया अब अमेरिका सहित पश्चिमी देशों रूस व उनके सहयोगियों के लिए जोर-आजमाइश का मैदान बनता जा रहा है। सभी देशों को अपने-अपने हथियारों का ट्रायल करने का मौका मिल गया है। अमेरिका और रूस दोनों ही अपने-अपने अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह सब सीरिया की जनता को तबाह करके किया जा रहा है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रो ने कहा कि सीरियाई सरकार की रासायनिक हथियारों के उत्पादन और उनके इस्तेमाल की क्षमता को लक्ष्य बनाकर यह हमले किए गए हैं। हम रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को बर्दाश्त नहीं कर सकते। ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा कि सीरिया में सैन्य बल के इस्तेमाल के अलावा कोई विकल्प नहीं था। दूसरी ओर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने हमले को आक्रामक कृत्य करार दिया है और कहा कि यह सीरिया में मानवीय संकट और बढ़ाएगा। ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह अली खोमैनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, फ्रांस के मैक्रो और ब्रिटेन की थेरेसा मे की सीरिया में हमलों को लेकर निन्दा करते हुए उन्हें अपराधी करार दिया। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहाöअमेरिका और उसके सहयोगियों के पास कोई सबूत नहीं है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद ने कहा कि इस हमले ने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ जवाबी संघर्ष के लिए और इच्छुक बनाया है। यह आक्रामकता सीरिया और उसके लोगों को देश में आतंकवाद को कुचलने के लिए और प्रतिबद्ध बनाएगी।

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