Tuesday 3 April 2018

3250 करोड़ कर्ज ः चंदा कोचर के पति के खिलाफ जांच

आईसीआईआई बैंक की एमडी एवं सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सीबीआई ने दीपक कोचर, वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत और अन्य के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की है। इसमें फिलहाल चंदा कोचर का नाम नहीं है। दिसम्बर 2008 में वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर और उनके दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई थी। इसके बाद कंपनी को 64 करोड़ रुपए का लोन दिया गया। लोन देने वाली कंपनी वेणुगोपाल धूत की थी। बाद में इस कंपनी का मालिकाना हक महज नौ लाख रुपए के उस ट्रस्ट को सौंप दिया गया जिसकी कमान दीपक कोचर के हाथ में थी। दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर वेणुगोपाल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ रुपए का लोन मिलने के छह महीने के बाद किया गया। इस लोन का करीब 86 प्रतिशत (2810 करोड़ रुपए) चुकाया नहीं गया। 2017 में वीडियोकॉन समूह के लोन को बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया। अब जांच एजेंसी धूत-कोचर-आईसीआईसीआई बैंक के बीच लेनदेन की जांच कर रही है। वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक का यह लोन कुल 40 हजार करोड़ रुपए के लोन का एक हिस्सा था जिसे वीडियोकॉन समूह ने स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले 20 बैंकों के कंसोर्टियम से लिया था। वीडियोकॉन के एक निवेशक अरविन्द गुप्ता ने 2016 में ही न्यू पॉवर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड और वेणुगोपाल धूत के बीच लेनदेन का खुलासा करते हुए इस बारे में प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक एवं अन्य एजेंसियों को आगाह कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद न तो कोई जांच की गई और न ही कोई कार्रवाई हुई। बकौल गुप्ता उन्होंने दीपक कोचर की कंपनी न्यू पॉवर पर 2010 से ही नजर रखनी शुरू की थी। चूंकि वे वीडियोकॉन के निदेशक थे, इसलिए हर व्यावसायिक गतिविधि की जानकारी अपने पास रखते थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मामले में छह सप्ताह पहले दर्ज प्राथमिकी जांच में कार्रवाई शुरू कर दी है। एजेंसी ने कर्ज देने में कथित अनियमितता का पता लगाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के कुछ अधिकारियों से पूछताछ की है। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि यदि किसी भी तरह की गड़बड़ी के सबूत मिले तो बैंक की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर एवं अन्य लोगों को विस्तृत पूछताछ के लिए समन किया जा सकता है। यह एक और घोटाला है जिसकी जानकारी तो सरकार को थी पर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया। उम्मीद की जाती है कि कसूरवारों को उचित दंड मिलेगा।

-अनिल नरेन्द्र

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