Friday 16 March 2018

सर्वशक्तिमान शी जिनपिंग

चीन में एकदलीय राजनीति में सबसे बड़े बदलाव के तहत रबड़ स्टाम्प संसद ने दूरगामी व कई मायनों में ऐतिहासिक संविधान संशोधन मंजूर करके राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दो बार के कार्यकाल की अनिवार्यता समाप्त करके शी जिनपिंग को आजीवन सत्ता में बने रहने पर मुहर लगा दी है। 64 वर्षीय शी इस महीने ही दूसरी बार अपने पांच वर्ष के कार्यकाल की शुरुआत करने वाले हैं और हाल के दशकों में सर्वाधिक शक्तिशाली नेता हैं जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) और सेना प्रमुख हैं। वह संस्थापक अध्यक्ष माओ त्से तुंग के बाद पहले चीनी नेता हैं जो आजीवन सत्ता में बने रहेंगे। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने इस बदलाव के पीछे देश को महाशक्ति बनाने का तर्प दिया है। पार्टी के मुताबिक शी के पास देश को आर्थिक-सैन्य महाशक्ति बनाने की योजना है और इस पद पर रहकर वह योजनाओं को अमली जामा पहना पाएंगे। शी जिनपिंग वर्ष 2012 में राष्ट्रपति बने। वर्ष 2017 में वह दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुए जिसके तहत वह 2023 तक राष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं। कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग से जिनपिंग की तुलना की जा रही है। इसके पीछे पुख्ता आधार हैं। माओ की तरह जिनपिंग के पास भी राष्ट्रपति, सीपीसी के महासचिव और सैन्य आयोग का अध्यक्ष पद है। जिनपिंग के विचारों को भी माओ के विचारों की तरह पार्टी संविधान में शामिल किया गया है। आजीवन राष्ट्रपति बने रहने की आजादी से जिनपिंग को असीमित ताकत मिल जाएगी। हाल में चीन फॉरेन पॉलिसी इंडो पैसेफिक या हिन्द महासागर क्षेत्र और लाइन ऑफ कंट्रोल पर वह भारत को अपनी ताकत दिखा सकता है। यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। जिनपिंग के राष्ट्रपति बने रहने से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को बढ़ावा मिलेगा, जिसका भारत शुरू से विरोध करता आया है। इसके अलावा बीआरआई प्रोजेक्ट पहले से ही भारत की चिन्ता है जिसमें वन बेल्ट-वन रोड के जरिये चीन दुनियाभर के देशों को आपस में जोड़ने में लगा है। जिनपिंग के प्रेसिडेंट बने रहने पर इसे और बढ़ावा मिलेगा। शी जिनपिंग अब दुनिया के सबसे ताकतवर नेता बन सकते हैं। जिनपिंग वास्तव में माओ से भी अधिक ताकतवर बन गए हैं। अभूतपूर्व भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाकर अपने राजनीतिक विरोधियों को पहले ही साफ कर चुके जिनपिंग राष्ट्रपति के फैसले लेने की प्रक्रिया को अपने हाथ तक सीमित करने में सफल रहे हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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