Sunday 4 March 2018

कार्ति गिरफ्तार- चिदम्बरम निशाने पर

आईएनएक्स कंपनी को कानूनी सीमा से अधिक विदेशी निवेश की अनुमति दिलाने के मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम के इर्द-गिर्द शिकंजा कसना शुरू हो गया है। इस मामले में सीबीआई ने उनके बेटे कार्ति चिदम्बरम को गिरफ्तार कर लिया है। मनी लांड्रिंग के कथित आरोप में सीबीआई पिछले काफी समय से कार्ति चिदम्बरम की जिस तरह मुश्कें कस रही थी, उसे देखते हुए उनकी गिरफ्तारी बहुत आश्चर्यजनक भले ही न हो, लेकिन इसकी टाइमिंग जरूर महत्वपूर्ण है। सीबीआई का कहना है कि आईएनएक्स मीडिया मामले में कार्ति के खिलाफ उसके पास पुख्ता सबूत हैं। चूंकि यह मामला पी. चिदम्बरम के वित्तमंत्री रहने के दौर का है और उसी दौर के एयरसेल-मैक्सिस डील में भी कार्ति की कथित लिप्तता के सबूत के बारे में सीबीआई बता रही है। ऐसे में देर-सवेर पूर्व वित्तमंत्री को भी अगर शिकंजे में कस लिया जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि सीबीआई की एफआईआर में उनका नाम नहीं है। बेशक व्यापारी कार्ति चिदम्बरम की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई हो लेकिन सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करवाकर संसद के नए सत्र में विपक्ष को रक्षात्मक करने का प्रयास जरूर किया है। सरकार को यह अच्छी तरह पता है कि आने वाले सत्र में विपक्ष पीएनबी घोटाले और उसके अभियुक्तों नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और पहले भागने वाले ललित मोदी और विजय माल्या को देश लाए जाने का सवाल उठाएगा। इस तरह से भ्रष्टाचार के मोर्चे पर सरकार की आक्रामकता बेअसर होती नजर आ रही थी लेकिन कार्ति की गिरफ्तारी से सरकार ने कांग्रेस को फिर कठघरे में खड़ा करना चाहा है। अब इस मुद्दे का इस्तेमाल कर्नाटक और आगामी चुनावों में होगा। कार्ति चिदम्बरम ने गिरफ्तारी मेमो पर हस्ताक्षर करते हुए उस पर लिखा कि यह सारी कवायद उनके पिता पी. चिदम्बरम को राजनीतिक तौर पर निशाना बनाने के लिए की गई है। सीबीआई ने कहा है कि कार्ति जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और बार-बार विदेश जा रहे हैं। बचाव पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल दो बार सीबीआई व दो-दो बार प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हो चुके हैं। उनसे सीबीआई 22 घंटे व ईडी 33 घंटे पूछताछ कर चुकी है और वह कोर्ट की अनुमति से विदेश गए और हर बार वापस आए। उम्मीद की  जानी चाहिए कि कार्ति की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के एक मामले को उसके तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए हुई है जिसे राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए।

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