Thursday 15 March 2018

देश का अन्नदाता आत्महत्या करने पर मजबूर

यह संतोषजनक बात है कि देश का ध्यान उन 40 हजार किसानों की ओर जा रहा है जो महाराष्ट्र के नासिक शहर से 160 किलोमीटर पैदल मार्च कर मुंबई पहुंचते हैं और महाराष्ट्र सरकार पर उनकी मांगों को मानने का दबाव डालते हैं। महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार को शायद उम्मीद नहीं थी कि जिस किसान वर्ग की मांगों को वह हल्के से लेते रहे हैं, आज वही किसान वर्ग ने सरकार की ही नींव हिलाते हुए मुंबई कूच किया। नासिक कृषि उत्पादों की बहुत बड़ी मंडी है और मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। अगर इसके बीच किसान दुखी और नाराज है तो जरूर हमारी व्यवस्था में कहीं कुछ गड़बड़ है। पिछले साल मध्यप्रदेश के मंदसौर, रतलाम और इंदौर से लेकर भोपाल तक किसानों ने उक्त प्रदर्शन किया था। संयोग से उस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही एक किसान नेता कर रहे थे। इस आंदोलन का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान सभा के हाथ में है और वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी वाली शाखा है। इसके बावजूद उसे कांग्रेस महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना का समर्थन प्राप्त है। मार्च 2017 में किसानों ने सरकार से मोटे तौर पर कर्जमाफी, फसलों के उचित मूल्यों, बिजली का दाम कम करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग की थी। तब इन मांगों के लिए मुख्यमंत्री फड़नवीस नासिक गए थे। जून 2017 में महाराष्ट्र सरकार ने 34 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी की घोषणा कर तो दी लेकिन यह दिखावा ही बनी रही। इस घोषणा के बाद भी महाराष्ट्र में हजारों किसानों ने आत्महत्या की। ऐसा होना लाजिमी था क्योंकि महाराष्ट्र में यह कर्जमाफी इंटरनेट पर है, जिसके बारे में किसानों को पता नहीं अब वे खेती करें या इंटरनेट चलाना सीखकर अपनी कर्जमाफी कराएं? किसानों का कहना है कि वे किसी तरह यह सब कर भी लें, लेकिन उनकी फसल तो बाजार में सिर्प लुटने के लिए जाती है। यह शिकायत अकेले महाराष्ट्र की ही नहीं है। गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु तक में किसान अंतहीन हताशा के कगार पर खड़े हैं। किसानों की विडंबना यह है कि वह देश का अन्नदाता होने के बावजूद अपना पेट नहीं भर पाता। अगर उसका पेट भर भी जाता है तो शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरी जरूरतें पूरी नहीं होतीं। यही वजह है कि वह आत्महत्या करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपनी जनसभाओं में यह बोल चुके हैं कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब किसानों की जायज मांगें और समस्याएं हल होंगी।

-अनिल नरेन्द्र

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