Friday 9 March 2018

सैन्य अफसर से अपराधी जैसा बर्ताव नहीं हो सकता

शुक्र है कि सुप्रीम कोर्ट ने शोपियां गोलीकांड मामले में 10 गढ़वाल राइफल्स के मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ किसी तरह की जांच पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को दो टूक कहा कि मेजर आदित्य एक सैन्य अधिकारी हैं, उनके साथ अपराधी जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एफआईआर में मेजर आदित्य को अब तक आरोपी नहीं बनाया गया है। इसे एक तरह से राज्य सरकार का यूटर्न माना जा रहा है। वहीं केंद्र सरकार ने शोपियां में सेना की कार्रवाई का समर्थन किया है। जम्मू-कश्मीर में गत 27 जनवरी को सेना के एक दल पर भीड़ ने पत्थरबाजी और हमला किया था। इससे बचने के लिए सेना ने फायरिंग की थी, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेना के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। सेना के जिस दल पर हमला हुआ था उसकी अगुवाई मेजर आदित्य कुमार कर रहे थे। एफआईआर में उनका भी नाम है। मेजर आदित्य कुमार के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कमवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफडे ने कहा कि एफआईआर में अब तक मेजर आदित्य का नाम नहीं है। इस पर पीठ ने सवाल किया कि आगे क्या सैन्य अधिकारियों को आरोपी बनाया जाएगा? जवाब में नाफडे ने कहा कि यह तो जांच पर निर्भर करेगा। इस पर पीठ ने कहा कि आप उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकते। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने याचिकाकर्ता और मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कमवीर सिंह की याचिका का समर्थन करते हुए कहाöइस मामले में सैन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) की धारा-7 के तहत सेना को छूट मिली हुई है। हम यह समझ सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने राजनीतिक कारणों से सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का काम किया होगा, लेकिन यह वह तरीका नहीं जिससे राज्य के लोगों को सही संदेश दिया जा सके। बेहतर हो कि राज्य सरकार अपने स्तर पर लोगों के समक्ष यह स्पष्ट करने में संकोच न करे कि सेना उनकी हिफाजत के लिए है और यदि लोग आतंकियों के समर्थन में हिंसक व्यवहार करेंगे तो उन्हें कठोर दंड ही मिलेगा। वैसे भी सेना ने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया है।

-अनिल नरेन्द्र

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