Friday 8 December 2017

पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अपराध-आतंक का साया

लुधियाना में 17 अक्तूबर को संघ नेता रविन्दर गोसाईं की हत्या के मामले में रविवार सुबह मोदी नगर क्षेत्र के नाहली गांव से पिस्तौल सप्लायर मलूक को गिरफ्तार करके लौट रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) व पुलिस की टीम पर ग्रामीणों ने हमला बोल आरोपी को छुड़ा लिया। पुलिस ने उसे दोबारा पकड़ने का प्रयास किया तो भीड़ ने पथराव किया व गोलियां चलाईं। इसमें क्राइम ब्रांच के सिपाही तहजीब खान घायल हो गए। जैसे ही पुलिस और टीम के जवानों ने मलूक को गाड़ी में बिठाया ग्रामीणों ने टीम को चारों तरफ से घेर लिया। उनके रास्ते में बुग्गी खड़ी कर दी। ग्रामीणों ने पुलिस से पूछा कि वह मलूक को क्यों ले जा रहे हैं। इस बीच महिलाओं ने पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने जब इसका विरोध किया तो कुछ युवकों ने फायरिंग कर दी। चारों तरफ से घिरा देख टीम जान बचाकर गांव से भाग निकली। दौड़ते पुलिस कर्मियों पर भी महिलाओं ने पत्थर बरसाए। करीब 10 मिनट तक पथराव और फायरिंग हुई। पुलिस टीम पर इस हमले से पता चलता है कि इलाके में कितना हथियार इत्यादि जमा है। दरअसल वेस्ट यूपी हथियार, तस्करी, आतंकी कनैक्शन और सांप्रदायिक हलचल को लेकर खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के लगातार राडार पर है। दिल्ली के नजदीक होने और देश की सियासत को बड़ा मोड़ देने वाला वेस्ट यूपी कितना खतरनाक हो गया है। इस घटना से पता चलता है। कई बड़ी वारदात में वेस्ट यूपी के कुछ गिरोह या यहां पनाह लेने वाले आतंकियों की भूमिका मिलती रही है। अब संघ नेता की हत्या के पीछे भी वेस्ट यूपी कनैक्शन सामने आने के बाद दोबारा अलर्ट घोषित किया गया है। वेस्ट से जुड़े कई आपराधिक गिरोह पैसा लेकर सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की बड़ी वारदात करा चुके हैं। मुज्फ्फरनगर दंगे के बाद यहां आतंकी संगठनों ने पैर जमा लिए थे। स्थानीय युवकों को आतंकी संगठन से जोड़ने और बड़ी वारदातों को प्लान करने की साजिश की जा रही थी। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट के बाद काम भी शुरू किया गया। तीन साल पूर्व इस बात का खुलासा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद भी किया था। सुरक्षा एजेंसियों का मुख्य फोकस मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, मुज्फ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर समेत अनेक जिलों पर रहा है। स्थानीय स्तर पर इन संगठन को मदद देने वाले लोगों का जाल बना हुआ है। मलूक को पकड़ने वाली एनआईए, एटीएस और स्थानीय पुलिस की टीम को इसलिए भागना पड़ा कि उनके साथ पर्याप्त फोर्स नहीं थी। फोर्स कम होने की वजह से सुरक्षा एजेंसियां ग्रामीणों के सामने ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं और पूरी फोर्स को उलटे पांव लौटना पड़ा। एनआईए प्रवक्ता के अनुसार संघ नेता की हत्या की जांच के दौरान कुछ संदिग्ध तस्करों के नाम भी सामने आए हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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