Thursday 23 November 2017

आतंकियों और नक्सलियों पर भारी पड़ते सुरक्षा बल

आतंकवाद भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। चाहे वह कश्मीर में जेहादियों की हो या नक्सलियों की हिंसा हो इस पर काबू पाना एक समस्या बनी हुई है। पर 2017 का साल हमारे सुरक्षा बलों के लिए अच्छा रहा है। पहले बात करते हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की। कश्मीर में सेना व सुरक्षा बलों की आक्रामक रणनीति के कारण बड़े पैमाने पर आतंकियों का सफाया हो चुका है। इस साल रिकार्ड तोड़ आतंकी मारे गए हैं। कश्मीर में 15 कार्प के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधु ने इस साल 19 नवम्बर तक 190 आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की है। आमतौर पर बाकी सालों में यह आंकड़ा एक सौ से नीचे रहता था, लेकिन इस साल यह दो सौ से भी ऊपर चला जाएगा। सेना का कहना है कि घाटी में पाक समर्थित आतंकी संगठन लश्कर--तैयबा के शीर्ष नेतृत्व का सफाया हो गया है। इस साल जिन 190 आतंकियों को मार गिराया गया उनमें 80 स्थानीय थे और 110 विदेशी आतंकवादी थे। सुरक्षा बलों के चौतरफा दबाव के कारण कश्मीर घाटी में पत्थर बाजी की घटनाओं में भी 90 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले वर्ष की तुलना में यह बड़ी सफलता है। इस साल मारे जाने वाले आतंकियों में से 5-6 टॉप कमांडर भी थे, जिन्हें सेना, सुरक्षा बलों और पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में मौत के घाट उतारा गया है। दूसरी तरफ सुरक्षा बलों के कसते शिकंजे से नक्सली कमजोर पड़ते जा रहे हैं। दस राज्यों के 106 जिलों में सक्रिय नक्सलियों ने खुद माना है कि 2017 के दस महीनों में उन्हें तगड़ा झटका लगा है। इस दौरान उनके जिन 140 साथियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है, उनमें 34 महिलाएं थीं। यह जानकारी  पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजी) के स्थापना दिवस से पहले नक्सलियों के केंद्रीय सैन्य आयोग की तरफ से जारी बयान में दी गई है। इसमें बताया गया है कि उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान दंडकारण्य (छत्तीसगढ़) में उठाना पड़ा है। वहां 98 नक्सली मारे जा चुके हैं। हालांकि 2017 में नक्सलियों से लोहा लेते हुए सुरक्षा बलों के 71 जवान भी शहीद हो गए। मारे जाने वाले नक्सलियों में उनके डिवीजन  और जोनल स्तर के नेता भी शामिल हैं। नक्सलियों के बयान में प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे अभियान ः समाधान (2017-2022) का विशेष रूप से जिक्र है। साथ ही 2014 से लगातार सुरक्षा बलों के प्रहार की बात भी स्वीकार की गई है। बयान में कहा गया कि 2016 की तुलना में इस साल बीते 10 महीनों में सुरक्षा बलों की तरफ से हमले तेज हुए हैं। इससे बहुत नुकसान हुआ है। खासकर सुरक्षा बलों ने बड़ी संख्या में हथियार और कारतूस जब्त कर लिए हैं। सुरक्षा बलों को बधाई।

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