Sunday 8 October 2017

क्या हनीप्रीत सिंह के खिलाफ पुलिस केस मजबूत है?

गत बुधवार को दोपहर डेरा प्रमुख की सबसे अहम राजदार हनीप्रीत सिंह इंसा को सीजेएम पंचकूला की अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने अदालत में पेश रिपोर्ट में कहा कि दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके डेरा समर्थकों से हनीप्रीत के साजिश में शामिल होने के तथ्य मिले हैं और इस आधार पर हनीप्रीत को तफ्तीश के दौरान मुलजिम बनाया गया। मंगलवार को पंचकूला के पास से उसे गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद उससे तीन बार कई घंटे तक पूछताछ की गई मगर उसने तफ्तीश में कोई सुराग नहीं दिया। उसने माना कि घटना वाले दिन 25 अगस्त और उसके बाद उसकी कई लोगों से बात हुई। इनमें दंगे के आरोपी भी शामिल हैं। पुलिस ने पिछले 22 घंटे की हिरासत में उसके असहयोग की बात कर 14 दिनों की रिमांड की मांग की। लेकिन अदालत ने सिर्फ छह दिनों की रिमांड स्वीकार की। पंचकूला की अदालत द्वारा पुलिस रिमांड पर भेजे जाने के बाद भी हनीप्रीत पूछताछ में पुलिस का कोई सहयोग नहीं कर रही। आला पुलिस अधिकारियों की टीम बुधवार को रातभर हनीप्रीत से पूछताछ करती रही लेकिन वह सवालों को टालती रही। इसके चलते माना जा रहा है कि हरियाणा पुलिस हनीप्रीत का नार्को टेस्ट करवा सकती है। हनीप्रीत को लेकर पंचकूला पुलिस द्वारा पेश की गई थ्योरी पंचकूला कोर्ट में ट्रायल के दौरान पुलिस के गले की फांस बन सकती है। पुलिस द्वारा हनीप्रीत का रिमांड लेने के लिए दो तरह की थ्योरी कोर्ट में पेश की गई, जिससे पुलिस घिरती नजर आई। हालांकि पुलिस इस बात के लिए अपनी पीठ थपथपाने से पीछे नहीं हटी कि एक महिला के लिए छह दिन का रिमांड मिलना बहुत बड़ी बात है। पुलिस हनीप्रीत को दंगे भड़काने की साजिश में शामिल बता रही है। पुलिस ने एफआईआर में लिखा था कि एक पत्रकार ने हनीप्रीत को दंगे भड़काने की बात कहते हुए सुना था। साथ ही रिमांड के दौरान भी कई आरोपियों ने हनीप्रीत का नाम लिया है। अब पुलिस कहने लगी है कि 17 अगस्त को डेरा में एक बैठक हुई थी जिसमें निर्णय लिया गया था कि पंचकूला में फैसले के बाद क्या कुछ करना है। हनीप्रीत उस बैठक में शामिल थी। हनीप्रीत के वकीलों ने पंचकूला कोर्ट में पुलिस को जमकर घेरा। बचाव पक्ष के वकीलों द्वारा पुलिस की हर थ्योरी पर सख्त सवाल खड़े किए गए, जिसके चलते पुलिस अपनी थ्योरी पर हनीप्रीत का 14 दिन का रिमांड लेना चाहती थी, उसे केवल छह दिन का ही रिमांड मिला। हनीप्रीत के वकील एसके गर्ग नरवाना के अनुसार हनीप्रीत के खिलाफ 25 अगस्त को दंगे भड़काने का जो केस दर्ज किया गया है, उसमें एक पत्रकार को बतौर मुख्य गवाह बनाया गया है। पुलिस की थ्योरी के अनुसार इस पत्रकार ने हनीप्रीत को डेरा प्रमुख को दोषी करार देने के बाद यह कहते हुए सुना है कि पंचकूला में आगजनी, तोड़फोड़ कर दी जाए। एडवोकेट गर्ग नरवाना का कहना है कि 25 अगस्त को हनीप्रीत कोर्ट परिसर में थी। वहां पर कोई भी पत्रकार मौजूद नहीं था। सभी के मोबाइल फोन बंद थे। कोई किसी को फोन नहीं कर सकता था, तो हनीप्रीत डेरा अनुयायियों को किस प्रकार पंचकूला में दंगे करवाने का आदेश दे सकती है? इसलिए न तो हनीप्रीत ने उस दिन किसी को फोन किया और न ही किसी ने हनीप्रीत को यह कहते सुना है कि पंचकूला में आगजनी कर दी जाए। ऐसे में पुलिस अगर और कोई ठोस सबूत नहीं लाई तो ट्रायल में यह आरोप साबित करना मुश्किल हो जाएगा। अब पुलिस ने केस मजबूत करने के लिए नई थ्योरी तैयार कर ली है जिसमें पुलिस दावा कर रही है कि 17 अगस्त को जब सीबीआई कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुनाने के लिए 25 अगस्त की तिथि तय कर दी गई तो एक बैठक डेरे में बुलाई गई जिसमें राम रहीम के अलावा डेरे के प्रमुख लोग शामिल थे। देखें, छह दिन के रिमांड के बाद पुलिस अदालत को क्या-क्या बताती है?

-अनिल नरेन्द्र

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