Thursday 5 October 2017

अपनी ही गोली का शिकार है आज अमेरिका

दुनिया में अपनी धाक जमाने के लिए दुनिया के स्वयंभू ठेकेदार बने अमेरिका ने जमकर हथियार बनाए। यह हथियार उसने घरेलू और विदेशी बाजार में खूब बेचे भी। लचर कानून और सामर्थवाद लोगों के चलते अमेरिका में गन संस्कृति खूब फली-फूली। कभी आत्मरक्षा तो कभी रसूख दिखाने के नाम पर अमेरिकियों ने बंदूकों का अंबार खड़ा कर दिया। अब यही गन संस्कृति उसे लहूलुहान कर रही है। केवल 2017 में ही अगस्त तक वहां बड़े पैमाने पर बंदूक से हमले की 244 घटनाएं हो चुकी हैं। अधिकतर अमेरिकी बंदूक रखने को अपनी शान मानते हैं। वे इसे जीवनशैली का हिस्सा व ताकत मानते हैं। लास वेगास के ताजा हमले में हमलावर स्टीफन पैडॉक के होटल कमरे में 10 से अधिक राइफलें मिलीं। इस हिंसा के बाद अमेरिका में गन कहर पर फिर से बहस छिड़ गई है। क्योंकि सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन (सीडीसी) के मुताबिक अमेरिका में बंदूकों से हर साल औसतन 12 हजार मौतें हो रही हैं। बीते 50 साल में अमेरिका में बंदूकों ने 15 लाख से ज्यादा जानें ली हैं। इसमें मॉस शूटिंग और मर्डर संबंधित 5 लाख मौते हुई हैं। दरअसल अमेरिका में हथियार रखना बुनियादी हकों में आता है। बंदूकें आसानी से लोग स्टोर से खरीद लेते हैं। लिहाजा लोग गन पॉलिसी बनाने की मांग कर रहे हैं पर अमेरिका में खासकर अमेरिकी संसद में गन लॉबी इतनी मजबूत है कि वह कोई ऐसा कानून नहीं बनने देती जिससे गनों की सेल पर अंकुश लगे। मुझे याद है जब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे तो दो साल पहले अरेगन के कॉलेज में नौ लोगों  की हत्या के बाद वह रो तक पड़े थे। उन्होंने कहा कि अगर आज हमने कदम नहीं उठाया तो ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी। जब भी मैं उन बच्चों के बारे में सोचता हूं, पागल हो जाता हूं। हम सबको संसद में गन पॉलिसी लानी चाहिए लेकिन अमेरिकी कांग्रेस के 70 फीसदी सांसद हथियारों के समर्थक थे। लिहाजा ओबामा बेबस रहे। अमेरिकी गन उद्योग सालाना 91 हजार करोड़ रुपए का रेवन्यू जेनरेट करती है। लिहाजा अमेरिका की शक्तिशाली हथियार लॉबी भी हथियारों पर नियंत्रण के प्रयासों को कामयाब नहीं होने देती। यह लॉबी चुनावों में राजनीतिक दलों को मोटी फंडिंग करती है। सत्ता में आने से पहले डोनाल्ड ट्रंप भी हथियार समर्थक रुख दर्शाते रहे। बीते साल आरलेंडो के नाइट क्लब की घटना के बाद उन्होंने कहा था कि यदि क्लब के पास हथियार होते तो बहुत से लोगों की जान बच सकती थी। दुनिया भर की कुल सिविलियन गन में से 48 फीसदी सिर्फ  अमेरिकियों के पास है। अमेरिकियों के पास 31 करोड़ हथियार हैं। 89 प्रतिशत अमेरिकी लोग अपने पास बंदूक रखते हैं। इनमें से 66 प्रतिशत लोग एक से ज्यादा बंदूक रखते हैं। अमेरिका में गन उद्योग में 2.65 लाख लोग इस करोबार से जुड़े हुए हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हथियार की बिक्री से 90 हजार करोड़ रुपए आते हैं। हर साल एक करोड़ से ज्यादा रिवाल्वर, पिस्टल जैसी बंदूकें यहां बनती हैं। हथियारों से होने वाली हिंसा और मौतों से 20 हजार करोड़ रुपए का 2012 में नुकसान हुआ। यह जीडीपी का 1.4 फीसदी हिस्सा है। जानबूझकर बंदूक से की गई हत्या की दर अमेरिका में अन्य उच्च आय वाले देशों की तुलना में 25.2 गुना अधिक है। यहां हर साल 10 लाख लोगों के गलती से गोली चलने या आत्महत्या करके मरने वालों की संख्या 66 है जबकि जानबूझकर खुद को गोली मार लेने वालें की संख्या 36 है। दूसरे नंबर पर फिनलैंड है जहां यह आंकड़ा क्रमश 33 और 3 हैं। गोलीबारी में मारे जाने के मामले में किसी ब्रिटिश की तुलना में अमेरिका की आशंका 51 गुना ज्यादा है। दुख से कहना पड़ता है कि अपनी ही गोली का शिकार आज अमेरिका खुद बन रहा है।

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