Tuesday 24 October 2017

आईएमएफ द्वारा आर्थिक सुधारों के तीन सुझाव

भारत की अनुमानित आर्थिक विकास दर घटाने के एक सप्ताह बाद आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में जो टिप्पणियां की हैं वे उत्साह बढ़ाने के साथ-साथ बेहतरी की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करने वाली भी हैं। आईएमएफ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। इस विश्व संगठन की प्रमुख क्रिस्टिना लेगार्ड ने साफ-साफ कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर है और नोटबंदी तथा जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक फैसलों के कारण छोटी अवधि में भले ही विकास दर प्रभावित हुई हो लेकिन मध्यम व दीर्घावधि में इसका लाभ मिलना तय है। गौरतलब है कि इससे पहले आईएमएफ ने खासकर नोटबंदी से अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की बात कहते हुए आर्थिक विकास दर में लगभग एक प्रतिशत की कमी आने की आशंका जाहिर की थी। आईएमएफ ने भारत के लिए त्रिपक्षीय ढांचागत सुधार दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव भी दिया है। इसमें को-ऑपरेटिव बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर हालत से बाहर निकालना, राजस्व संबंधी कदमों के माध्यम से वित्तीय एकीकरण को जारी रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता को बेहतर करने के लिए सुधार शामिल हैं। आईएमएफ में एशिया प्रशांत विभाग के उपनिदेशक केनेथ कांग ने कहा कि एशिया का परिदृश्य अच्छा है और यह मुश्किल सुधारों के साथ भारत को आगे ले जाने का महत्वपूर्ण अवसर है। भारत के लिहाज से को-ऑपरेटिव और बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर हालत से बाहर निकालकर उनकी सेहत सही करना बहुत जरूरी है। लेबर और प्रोडक्ट मार्केट की क्षमता में और सुधार की जरूरत है। राजस्व संबंधी कदमों के जरिये फिस्कल कंसोलिडेशन को जारी रखना भी जरूरी है। कृषि सुधारों को आगे बढ़ाना होगा। उधर औद्योगिक मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि यह उद्योग जगत के अनुकूल नहीं हैं और नीतिगत दरों में कटौती नहीं करके रिजर्व बैंक की आर्थिक वृद्धि में बाधा उत्पन्न कर सकता है। गौरतलब है कि चार अक्तूबर को अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों को छह प्रतिशत के पूर्व स्तर पर बनाए रखा जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए उसने देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया। पटेल ने कहा कि इस तरह के कदम विकास विरोधी हैं। पत्रकारों के एक समूह से पटेल ने कहा कि रिजर्व बैंक उचित व्यवहार नहीं कर रहा है। महिलाओं के लिए ज्यादा मौके पैदा करने की जरूरत है जिससे अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के साथ-साथ सामाजिक विकास भी होगा। चूंकि एशिया में बेहतर आर्थिक विकास की संभावनाएं बनी हुई हैं, ऐसे में ढांचागत सुधारों को लागू कर भारत इसका फायदा उठा सकता है।

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