Tuesday 17 October 2017

क्या इस बार गुजरात भाजपा के लिए वॉकओवर होगा

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव इसी महीने होने वाले हैं और अगले माह गुजरात के। गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर आ रहा है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा किसी भी तरह यह मौका नहीं खोना चाहती। पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात का दौरा किया था, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान 12 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का उद्घाटन किया, शिलान्यास किया। अब वो 16 अक्तूबर को फिर से गुजरात जाने वाले हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं। दोनों पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। अगर हम हाल की कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो क्या यह गुजरात की राजनीति पर असर डाल सकती हैं? अमित शाह के बेटे जय शाह अचानक विवादों में आ गए हैं। एक न्यूज वेबसाइट ने जय शाह की कंपनी का टर्नओवर एक साल के अंदर 16 हजार गुणा बढ़ने का दावा किया है। इसके बाद से विपक्षी दल इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने वेबसाइट में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि 2015-16 में जय शाह की कंपनी का सालाना टर्नओवर 50 हजार रुपए से बढ़कर 80.5 करोड़ रुपए तक पहुंचने की जांच होनी चाहिए। अमित शाह ने कांग्रेस को चुनौती दी है कि वह जय शाह के खिलाफ सबूत पेश करें, महज आरोप लगाने से काम नहीं चलेगा। पर देखना यह होगा कि विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा बनता है या नहीं? इसके अलावा गुजरात के आणंद जिले में एक अक्तूबर को गरबा आयोजन में शामिल होने पर एक समूह ने एक 19 वर्षीय दलित युवक प्रकाश सोलंकी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इससे पहले गांधी नगर जिले के कलोल के लिबोदरा गांव में मूछ रखने पर 17 और 24 साल के दो युवकों के साथ मारपीट हुई थी। दशहरे के दिन अहमदाबाद में 300 दलित परिवारों ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था। इस घटना को लेकर सत्ताधारी भाजपा निशाने पर है। राज्य की कुल आबादी छह करोड़ 38 लाख के करीब है, जिनमें दलितों की आबादी 35 लाख 92 हजार के करीब है। यह जनसंख्या का 7.1 प्रतिशत है। गुजरात में अगस्त के महीने में हुए राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की जीत से भाजपा को करारा झटका लगा था। पार्टी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन अंतिम समय में अहमद पटेल ने बाजी मार ली। भाजपा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर उसका मनोबल तोड़ना चाहती थी। अहमद पटेल की जीत के बाद गुजरात में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल जरूर बढ़ गया है। गुजरात में पाटीदार आरक्षण का मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। वह अपनी मांगें मानने वाली किसी भी पार्टी के साथ जाने की बात कर चुके हैं। वहीं पाटीदारों में भाजपा को लेकर गुस्सा बना हुआ है। अमित शाह तक को पाटीदार युवाओं का विरोध झेलना पड़ा था। जैसे ही अमित शाह ने सभा को संबोधित करना शुरू किया वैसे ही कुछ युवाओं ने नारे लगाने शुरू कर दिए थे। इसके बाद हार्दिक पटेल ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उन युवाओं को पीटा है। आम आदमी पार्टी की हार्दिक पटेल से नजदीकियां बढ़ती दिख रही हैं। पाटीदारों का गुजरात में दबदबा रहा है। हालांकि पाटीदार आरक्षण मामले के बाद यह समुदाय सत्ताधारी पार्टी का विरोध करता रहा है। कांग्रेस से निकले शंकर सिंह बाघेला पाटीदारों का कुछ वोट अपनी ओर खींचने की कोशिश जरूर करेंगे। लेकिन आरक्षण न मिलने और हार्दिक पटेल को जेल होने को लेकर उपजी पाटीदारों की नाराजगी का नुकसान भाजपा को हो सकता है। एक जुलाई से लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद देश में आर्थिक मंदी की खबरें लगातार आ रही हैं। गुजरात के कपड़ा व्यापारियों में जीएसटी लगने को लेकर नाराजगी बनी हुई है। सूरत में जुलाई में टेक्सटाइल ट्रेडर्स ने जीएसटी के विरोध में भव्य प्रदर्शन भी किया था। उन्होंने जीएसटी के कारण कपड़ा महंगे होने और व्यापार पर असर पड़ने की चिन्ता जताई थी। वहीं इस साल जून के अंत तक 682 टेक्सटाइल मिलें बंद हो गई थीं। बाजार में मंदी की वजह से बेरोजगारी बढ़ने और महंगाई की मार के चलते और भाजपा की गुजरात सरकार के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी फैक्टर की वजह से भाजपा की गुजरात में राह आसान नहीं होगी।

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