Thursday 21 September 2017

रोहिंग्या देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा हैं

देश में अवैध तरीके से रह रहे बहुत से रोहिंग्या मुस्लिमों के संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन आईएसआईएस से हैं। यह देश में हवाला और फर्जी दस्तावेजों का कारोबार चला रहे हैं और भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा हैं। यह बात केंद्र सरकार ने रोहिंग्या पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर 16 पेज के हलफनामे में कही है। केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि किस शरणार्थी को देश में रखा जाए और किसे नहीं, यह सरकार का पॉलिसी मैटर है। इस अधिकार में कोई दखल नहीं दे सकता। कई आतंकी पृष्ठभूमि में हैं। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सरकार के पास और कई जानकारियां हैं जो बहुत अहम हैं लेकिन फिलहाल उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। अगर अदालत को जरूरत होगी तो सरकार सीलबंद लिफाफे में यह जानकारी दे सकती है। सरकार ने कहा है कि कुछ रोहिंग्या मुसलमान अवैध और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। हवाला के जरिए अवैध रूप से फंड इकट्ठा करते हैं। मानव तस्करी भी कर रहे हैं।  फर्जी पेन कार्ड और आधार कार्ड भी बनवा लिए हैं। उनके यहां रहने से भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार भी प्रभावित होंगे क्योंकि देश के संसाधनों का इस्तेमाल अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमान भी करेंगे। ताजा संकट इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि रोहिंग्या मुसलमानों के अराकन रोहिंग्या समवेशन आर्मी (एआरएएसए) के लड़ाकों ने 25 अगस्त 2017 को सेना और बार्डर पुलिस की 25 चौकियों पर हमला बोल दिया और एक दर्जन सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी। इस पर सेना ने रोहिंग्या सफाई अभियान शुरू कर दिया है। अब तक करीब चार लाख लोग म्यांमार से भागकर पड़ोसी बांग्लादेश पहुंच चुके हैं। ऊपर से देखने में यह धर्म के आधार पर प्रताड़ित किए जाने का मामला लगता है लेकिन हकीकत यह है कि असली लड़ाई प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे को लेकर है। बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा पर बसे रोहिंग्या दशकों से रोजगार की तलाश में सीमा पार आते-जाते रहे हैं, लेकिन पिछले 50 साल के सैनिक शासन में म्यांमार में उन्हें धीरे-धीरे नागरिकता के मूल अधिकारों से वंचित किया जा चुका है। उन्हें वहां से भागकर उनकी जमीनों को सरकार और जापान, कोरिया व चीन की राष्ट्रीय कंपनियों के हवाले किया जा रहा है, ऐसा कहना रोहिंग्या मुसलमानों का है। रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में भारत की खुफिया एजेंसियें के पास कई सनसनीखेज बातें हैं। सूत्रों के मुताबिक आईएसआई 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद से ही रोहिंग्या मुस्लिमों के सांप्रदायिक इस्तेमाल की कोशिश में लगी है। आईएसआई बांग्लादेश और उत्तर-पश्चिम म्यांमार के रोहिंग्या बहुल रखाइन इलाके के कट्टरपंथियों को मिलाकर एक अलग मुस्लिम क्षेत्र बनाने का ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर चुकी है। इस तबके का भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए आईएसआई बेकरार है। दो दिन पहले रोहिंग्या मुसलमानों को ट्रेनिंग देकर तैयार करने की साजिश के लिए भारत आए अल-कायदा आतंकी को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बांग्लादेशी मूल के इस ब्रिटिश नागरिक को रविवार शाम को दिल्ली के शकरपुर बस स्टेंड से पकड़ा। पहले उसने अपना नाम ग्रॉमन हक बताया लेकिन असलियत में वह समीगन रहमान उर्फ राजू भाई निकला। रोहिंग्या मुस्लिम मूल रूप से बांग्लादेशी हैं। इन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। बांग्लादेश में इनके लिए कई शिविर तैयार किए हैं। खबर है कि तुर्की ने बांग्लादेश को रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए धन देने का वायदा भी किया है। भारत पहले से ही लाखों बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ से परेशान है। भारत  ने सारी दुनिया के शरणार्थियों का ठेका नहीं ले रखा। हमने यूरोप का हाल देखा है। वहां सीरिया और इराक के लाखों मुसलमानों ने शरण ली है। इनमें अलकायदा ने और आईएसआईएस ने अपने हत्यारे घुसेड़ दिए हैं। आए दिन यूरोप के किसी न किसी शहर में बम विस्फोट, सुसाइड ब्लास्ट के केस हो रहे हैं। हम भारत सरकार के स्टैंड से सहमत हैं। देश की एकता व अखंडता की खातिर हम कोई नया जोखिम नहीं ले सकते।

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