Friday 18 August 2017

कश्मीर घाटी में आतंकियों पर घर और बाहर दोनों से दबाव

जम्मू-कश्मीर में जिस तरह हमारे सुरक्षा बलों और जांच एजेंसियों ने आतंकवादियों के खिलाफ अपना अभियान चला रखा है उसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। एक तरफ एनआईए की कार्रवाई और दूसरी ओर सुरक्षा बलों का नामी आतंकी सरगनाओं को चुन-चुनकर मारने से कहा जा सकता है कि घाटी में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई धीरे-धीरे निर्णायक मोड़ पर पहुंचती जा रही है। रविवार रात दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में सेना, सीआरपीएफ और राज्य पुलिस ने आतंकवादियों की मौजूदगी का सुराग पाकर अवनीरा गांव की घेराबंदी की। तलाशी अभियान के दौरान जब आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी तब सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की जिसमें तीन आतंकी मारे गए और दो सैनिक शहीद हो गए। पूरी रात चली इस मुठभेड़ की उपलब्धि यह रही कि इस इलाके में हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुख्य अभियान कमांडर यासीन इटू उर्फ गजनवी को मारा गिराया। यासीन का नाम सेना की ओर से जारी टॉप 12 आतंकियों की सूची में भी था। यासीन 1996 में संगठन में शामिल हुआ था। 2007 में गिरफ्तार होने के बाद 2014 में छूटा था। 2015 में हिज्ब का चीफ आपरेशनल कमांडर बन गया। वह 2016 में लंबे समय तक चली अशांति को जिन्दा रखने के लिए जिम्मेदार था। यासीन इटू का मारा जाना इस ओर भी इशारा करता है कि पिछले कुछ समय से आतंकी समूहों का सामना करने के मामले में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के बीच तालमेल बढ़ा है और शायद खुफिया तंत्र को भी सूचनाएं हासिल करने में पहले से ज्यादा कामयाबी मिलने लगी है। दरअसल कुछ समय पहले जिस तरह स्थानीय लोगों के उकसावे में आकर एक पुलिस अफसर को पीट-पीटकर मार डाला था, उसके बाद पुलिस महकमे में भी आतंकी संगठनों के खिलाफ रोष पैदा हुआ और उसने अपने सूचना तंत्र से मिली जानकारी को सेना के साथ साझा करना शुरू कर दिया। यही वजह है कि बीते एक महीने के दौरान लश्कर--तैयबा के शीर्ष कमांडर अबु दुजाना सहित ए प्लस प्लस श्रेणी में रखे गए कई आतंकियों को मार गिराने में सफलता मिली। उधर अमेरिका ने बुधवार को हिजबुल मुजाहिद्दीन पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की भारत की कोशिशों के लिए इसे बड़ी कामयाबी माना जाएगा। कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में जुटे पाकिस्तान के लिए अमेरिका का यह फैसला किसी बड़े झटके से कम नहीं। घाटी में आतंकियों पर घर और बाहर दोनों जगह दबाव बढ़ता जा रहा है।

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