Saturday 22 July 2017

अब पाक स्कूली बच्चों को निशाना बना रहा है

पाकिस्तानी सेना ने अब सारी हदें पार कर दी हैं। अब वह हमारे बच्चों पर भी निशाना साधने लगे है। सोमवार को एक बार फिर पाक सेना ने पुंछ और राजौरी जिलों में गोलाबारी की, जिसमें एक छह साल की बच्ची साजिदा कफील की जान चली गई और एक भारतीय जवान मुदस्सर अहमद शहीद हो गए। पाक फायरिंग में जिला राजौरी के नौशेरा सब-डिवीजन में एलओसी से सटे दो स्कूलों के 217 बच्चे 10 घंटे तक फंसे रहे। 15 शिक्षक भी स्कूल में ही बंद रहे। पाकिस्तानी सेना ने फिर मंगलवार को भारी गोलाबारी कर स्कूल के बच्चों को निशाना बनाया। डीसी राजौरी
डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी के अनुसार भवानी स्कूल में 150 बच्चे व सैर स्कूल में 55 बच्चे करीब 10 घंटे तक पाक गोलाबारी के चलते स्कूल के कमरे में ही बंदी बने रहे। घंटों बाद जब फायरिंग थोड़ी कम हुई तो बच्चों का स्कूलों से निकालना शुरू हुआ। रेस्क्यू टीम ने सभी 217 बच्चों व 15 शिक्षकों को सुरक्षित निकाला। गर्मियों की छुट्टी के बाद सभी बच्चे सीजन में पहली बार स्कूल पहुंचे थे। स्कूल काफी ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम काफी मुश्किल हो गया। पाक की अंधाधुंध फायरिंग के दौरान बुलेटप्रूफ वाहनों में छात्रों को स्कूल से बाहर निकाला गया। बच्चों के माता-पिता ने बताया कि जब खबर मिली कि बच्चों के स्कूलों पर मोर्टार शेल पड़ रहे हैं तो सांसें अटक गईं। न बाहर निकलना संभव था और न ही घर बैठना पर बच्चों का हाल जानना जरूरी था। शाम छह बजे बच्चों को अपनी आंखों से सलामत देखा तो उनके मुंह में कुछ डालकर खुद भी खाया। अभिभावकों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि अब हम कब तक यूं ही मौत के साये में जीते रहेंगे? सवाल यह है कि पाकिस्तान इतनी ओछी हरकत आखिर कर क्यों रहा है? उसे मालूम होगा कि वह स्कूलों पर गोलाबारी कर रहा है और इसमें बच्चे मारे जा सकते हैं। क्या पाकिस्तान अब अपनी दुश्मनी नन्हें बच्चों से निकालेगा? उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय सेना उसकी इस गिरी हुई हरकत का माकूल जवाब दे सकती है। पर भारतीय सेना ऐसी ओछी हरकतों पर विश्वास नहीं करती। ऐसी हरकतें करने से पाकिस्तान खुद ही अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहा है। जब सारी दुनिया को पता चलेगा कि जानबूझ कर, सोची-समझी रणनीति के तहत पाकिस्तानी सेना स्कूली बच्चों को निशाना बना रही है तो उसकी पहले से गिरती छवि को और बट्टा लगेगा। पाकिस्तानी सेना में अगर थोड़ी-सी भी इंसानियत बची है तो बच्चों को निशाना न बनाए। लड़ना है तो उनसे लड़े जो माकूल जवाब देने में सक्षम हैं।


-अनिल नरेन्द्र

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