Sunday 20 March 2016

ब्लादिमीर पुतिन का साहसिक व सामयिक फैसला

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की अचानक सीरिया से अपने सैनिकों की वापसी का ऐलान उनके द्वारा एक जुआ खेला गया है और यह भी कहा जा सकता है कि उस इलाके में स्थायी शांति स्थापना की नई दिशा में एक कदम है। रूसी सैनिकों की पूर्ण वापसी की कोई समयसीमा अभी तय नहीं की गई है। बावजूद इसके पुतिन की यह पहल काफी अहम मानी जा सकती है। पुतिन ने यह फैसला सीरिया के राष्ट्रपति असद अल बशर से फोन पर बात करने के बाद लिया है। बताया जा रहा है कि असद ने भी अपनी स्वीकृति प्रदान की है तभी यह फैसला लिया गया है। मंगलवार को रूसी रक्षामंत्री ने बताया कि रूस ने सीरिया से अपने सैन्य उपकरणों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुतिन ने सीरिया में यह कदम उठाकर एक जुआ खेला है। उन्होंने अब शेष दुनिया को यह संदेश दिया है कि रूस सीरिया में शांति चाहता है। अब अमेरिका सहित अन्य देशों को पहल करनी होगी। रूसी राष्ट्रपति को यह मालूम था कि वह सीरिया में ज्यादा समय तक नहीं टिक सकते। वह सीरिया को दूसरा अफगानिस्तान नहीं बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मौका पाते ही रूसी सेना की वापसी की घोषणा कर दी। यह ऐलान ठीक उस समय आया है जब जेनेवा में सीरियाई शांतिवार्ता शुरू होने वाली है। कूटनीतिक हलकों में रूस की इस घोषणा को चौंकाने वाला माना जा रहा है। इस मौके पर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी बातचीत की। खबर है कि दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में चल रहे विवाद का राजनीतिक समाधान ढूंढने की प्रक्रिया तेज करने पर बल दिया है। शांति स्थापना के प्रयास कितने सफल होंगे यह तो अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि पुतिन का सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप का फैसला जितना साहसिक था, सेना की वापसी शुरू करने का निर्णय उतना ही परिपक्वतापूर्ण है। छह महीने पहले सीरिया में सेना भेजने के पुतिन के फैसले के चाहे जो भी पहलू हों, इसमें संदेह नहीं कि आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन की लगातार बढ़ती ताकत पर कारगर रोक लगाने में इससे काफी मदद मिली है। पुतिन के इस कदम पर सीरिया के राष्ट्रपति असद अल बशर पर भी दबाव बनेगा। उन्हें हटाने की मांग अमेरिका सहित कई देश कर रहे हैं। पुतिन उनका समर्थन कर रहे हैं। अब जेनेवा में सीरिया में संघर्ष खत्म करने के लिए शांतिवार्ता हो रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस की सराहना करते हुए इस शांतिवार्ता के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है। बहरहाल सैन्य वापसी के इस सामयिक व साहसी फैसले की सार्थकता इसी में है कि सारी अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां अब सीरिया के हिंसक विवाद को हल करें।

-अनिल नरेन्द्र

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