Friday 11 March 2016

ईपीएफ से टैक्स वापसी फैसले का स्वागत है

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आखिरकार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते की रकम निकासी पर टैक्स लगाने का बजट प्रस्ताव वापस लेकर आयकरदाता कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। ईपीएफ के तहत आने वाले लाखों कर्मचारियों में इससे असंतोष पैदा होना लाजिमी था। अच्छी बात है कि सरकार ने उनकी भावनाओं की कद्र की और इस प्रस्ताव को वापस ले लिया। वैसे इस फैसले के पीछे सरकार का तर्प था कि वह ऐसा करके उन लोगों को हतोत्साहित करना चाहती है जो सेवाकाल में अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए इस पैसे का उपयोग कर लेते हैं और इसके चलते उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस तर्प को निराधार भी नहीं ठहराया जा सकता, एक तो ऐसे फैसले व्यापक विचार-विमर्श और बहस के बाद ही लिए जाने चाहिए और दूसरे फैसले की घोषणा करते समय पूरी स्पष्टता सामने आनी चाहिए। वित्तमंत्री ने इसके साथ ही राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत जमा रकम के 40 फीसदी हिस्से को कर से छूट देने के प्रस्ताव को कायम रखने की बात भी कही है जिससे उन लोगों को फायदा होगा, जोकि पेंशन योजना को भविष्य की सुरक्षा के तौर पर देखते हैं। वास्तव में देश में बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है, मगर वित्तमंत्री ने वेतनभोगियों के लिए जो रास्ता चुना था, उससे तो कर्मचारियों को लाभ की जगह नुकसान ही होता। यही वजह है कि बजट घोषणा के बाद से ही उसका चौतरफा विरोध हो रहा था। कर्मचारी भविष्य निधि योजना वेतनभोगियों की सामाजिक सुरक्षा का सबसे विश्वसनीय जरिया है, जिसमें जमा रकम उनके आड़े वक्त में काम आती है। ईपीएफ में कर्मचारियों के साढ़े आठ लाख करोड़ रुपए जमा हैं, मगर दूसरी ओर सरकारी बैंकों का डूबा हुआ कर्ज ही चार लाख करोड़ रुपए के पार चला गया है और सरकार ने बैंकों की 1.14 लाख करोड़ रुपए की गैर निष्पादित (एनपीए) सम्पत्तियों को माफ करने का फैसला ले लिया है। अच्छा तो यह होगा कि सरकार नए आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए ऐसे कर्ज की वसूली के लिए कोई कारगर पहल करे। इस सन्दर्भ में वित्तमंत्री का यह कहना महत्वपूर्ण है कि सरकार का उद्देश्य अधिक राजस्व कमाना नहीं बल्कि लोगों को पेंशन स्कीम से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना है। भारत जैसे देश में जहां सामाजिक सुरक्षा के इंतजाम दयनीय हैं, वहीं भविष्य निधि या पेंशन अवकाशप्राप्त कर्मचारियों का एकमात्र सहारा है। कोशिश उन्हें सुरक्षित करने की होनी चाहिए, न कि बुजुर्गों को इससे महरूम करने की।

-अनिल नरेन्द्र

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