Sunday 27 March 2016

गड्ढे में धंसती दिल्ली की परिवहन व्यवस्था

  1. राजधानी में जाम नासूर बनता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की परिवहन व्यवस्था गड्ढे में चली गई है। वाहन रेंगते नजर आते हैं। प्रगति मैदान के सामने भैरों रोड पर रविवार शाम सड़क ही धंस गई। हालांकि सोमवार को उसकी अस्थायी मरम्मत तो हुई पर चन्द मिनटों में सड़क फिर धंस गई। इस कारण रिंग रोड से मथुरा रोड के बीच वाहनों का परिचालन बंद हो गया। हमने देखा है कि दिल्ली में कहीं भी जाम लगे तो पूरी राजधानी में वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। जाम का असर पूर्वी दिल्ली से लेकर नोएडा से आने वाली सड़कों पर भी पड़ा। प्रारंभिक जांच में सड़क धंसने का कारण भैरों मार्ग पर दिल्ली जल बोर्ड की पाइप लाइन रिसने की वजह सामने आई है। दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि भैरों रोड पर सड़क धंसने की घटना दोबारा न हो, इसके लिए  सरकार गंभीर है। पूरे इलाके का भौगोलिक सर्वेक्षण कराने का भी फैसला किया गया है। इसके जरिये ये जानने की कोशिश की जाएगी कि आखिर भैरों रोड पर इस तरह की घटना क्यों होती है? बताया तो यह भी जा रहा है कि भैरों मार्ग के नीचे पानी व सीवर की लाइनें हैं। इन लाइनों में रिसाव होने से लगातार पानी जा रहा था और गुरुवार को अचानक मार्ग धंस गया। यह आईटीओ की तरफ जाने वाला प्रमुख मार्ग है और इस पर अधिक ट्रैफिक रहता है। जब तक यह गड्ढा ठीक से भरा नहीं जाता तब तक दिल्लीवासियों को जाम से निजात मिलने वाली नहीं है। मामले के एक एक्सपर्ट पीके सरकार बताते हैं कि पानी के रिसाव से निपटने के लिए न तो दिल्ली जल बोर्ड और न ही दिल्ली सरकार के पास कोई ठोस स्थायी हल है। सड़कें कच्ची हैं। इसके लिए अलग लेयर होनी चाहिए और मास्टर प्लान पर काम होना चाहिए। बता दें कि दो साल पहले भी यह मार्ग धंसा था। यातायात जाम से नौकरी पेशा लोगों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ी हैं। विकास मार्ग पर चुंगी से लेकर आईटीओ वाली लाल बत्ती तक वाहन टस से मस नहीं हो पा रहे हैं। अधिकांश दफ्तरों में कर्मचारी देरी से पहुंच रहे हैं। बसों पर सवार कई कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो विकास मार्ग और गीता कॉलोनी फ्लाइओवर से पैदल आने को मजबूर हैं। जिन लोगों के दिल्ली की अदालतों में केस लगे हैं। उनको समय पर पहुंचने में भारी दिक्कत हो रही है। पता नहीं कि दिल्ली को कभी भी इन जामों से निजात मिलेगी भी या नहीं? जब बिना प्लानिंग के सड़कों को खोदा जाएगा तो यही नतीजा होगा। पूरी व्यवस्था को ओवरहाल करना होगा।
  2. -अनिल नरेन्द्र
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