Saturday 19 March 2016

यादव सिंह की गिरफ्तारी से क्या पूरा सच निकलेगा?

काली कमाई के कुबेर यादव सिंह प्रकरण में सीबीआई के लिए मंगलवार का दिन किसी कयामत से कम नहीं था। मंगलवार को सीबीआई अगर इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश नहीं कर पाती तो 89 दिनों से जेल में बंद रामेंद्र सिंह को मंगलवार को जमानत मिल सकती थी। किसी भी आरोपी के बंद होने के 90 दिनों के अंदर ही चार्जशीट कोर्ट में पेश करनी होती है। ऐसा न होने पर आरोपी को कानून की बारीकियों का लाभ मिलता है और नियमानुसार उसे कोर्ट से जमानत मिल जाती है। यादव सिंह प्रकरण में भी शायद ऐसा ही होता अगर सीबीआई मंगलवार को विशेष न्यायाधीश जी. श्रीदेवी की कोर्ट में चार्जशीट पेश न करती। दरअसल यादव सिंह के सबसे करीबी रहे नोएडा अथारिटी के ही असिस्टेंट प्रोजेक्ट इंजीनियर रामेंद्र सिंह को 18 दिसम्बर 2015 को गिरफ्तार किया गया था। काली कमाई के कुबेर के नाम से कुख्यात नोएडा अथारिटी और यमुना एक्सप्रेस-वे के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह और घोटाले में उसके सहयोगियों के खिलाफ सीबीआई ने मंगलवार को पहली चार्जशीट में पुलिस ने बताया कि यादव सिंह ने फर्जीवाड़ा करके मात्र आठ दिन में 954 करोड़ रुपए के ठेके दे डाले। इनमें अंडरग्राउंड केबल वर्प का ठेका भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में यह भी बताया है कि पैसों का लेन-देन यादव सिंह की पत्नी कुसुम लता के माध्यम से ही किया जाता था। इसलिए सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कुसुम लता के साथ ही कई ठेकेदारों को भी आरोपी बनाया है। यादव सिंह को सीबीआई ने तीन फरवरी 2016 को नई दिल्ली स्थित हैडक्वार्टर में पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके बाद शाम को वहीं उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। सीबीआई ने यादव सिंह पर भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक षड्यंत्र, ठगी और फर्जीवाड़े के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आधिकारिक पद का दुरुपयोग और रिश्वत का आरोप लगाया है। सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि सिंह की पत्नी कुसुम लता के नाम से अवैध भुगतान लिया गया। कुसुम लता का नाम प्राथमिकी में नहीं था लेकिन जांच के दौरान उसकी सक्रिय भूमिका के बाद उसके नाम को शामिल किया गया। उन्होंने दावा किया कि जांच में पता चला कि नोएडा में संगठित तंत्र काम कर रहा है जिसमें रिश्वत ऊपर से लेकर नीचे तक दी गई और नियमों का उल्लंघन कर ठेका दिया गया। सूत्रों ने कहा कि रामेंद्र सिंह ने डायरी बनाई थी जिसमें कमीशन का पूरा ब्यौरा और अधिकारियों के बीच वितरण का रिकार्ड रखा गया। यादव सिंह एंड गैंग बिना राजनीतिक संरक्षण के यह घोटाला नहीं कर सकता था।

-अनिल नरेन्द्र

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