Tuesday 29 March 2016

डाक्टर पंकज नारंग की पीट- पीटकर हत्या का जिम्मेदार कौन?

प्रेम और सौहार्द के रंगों में लहू का रंग घुल जाने से इस साल की होली कुछ ज्यादा ही बदरंग हो गई। उत्तर प्रदेश में जहां होली ने इस साल 47 लोगों की जान ले ली वहीं दिल्ली के एक डाक्टर को हुड़दंगियों ने नृशंसता से पीटकर मौत के घाट उतार दिया। विकासपुरी में गली में धीमे मोटर साइकिल चलाने की बात कहने पर अपराधियों ने एक डाक्टर को पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना के बारे में कुछ अलग-अलग बयान मिलते हैं। लेकिन जो मुख्य बात उभरकर सामने आती है, उसके मुताबिक सड़क पर एक मामूली कहासुनी ने इतना उग्र रूप ले लिया कि एक पक्ष ने लाठियों और लोहे की छड़ों से लैस छोटी-मोटी भीड़ जुटा ली, जिसने पीट-पीटकर दंत चिकित्सक डाक्टर पंकज नारंग की हत्या कर दी। यह एक ऐसा मामला था, जो शांति से सुलझाया जा सकता था, लेकिन इसने जिस तरह का उग्र रूप धारण कर लिया, वैसी घटनाएं अब अपवाद स्वरूप नहीं, बल्कि काफी आम हो गई हैं। छोटी होली के दिन दिल्ली में मारे गए डाक्टर नारंग का कसूर बस इतना था कि वे अपने बेटे के साथ गली में क्रिकेट खेल रहे थे। इस दौरान गेंद पास से गुजर रहे बाइक सवार को जा लगी, जिस पर दोनों में विवाद हुआ। इसके कुछ ही देर बाद बाइक वाले ने अपने दर्जनभर साथियों के साथ डाक्टर के घर धावा बोल दिया और उसे लाठी-डंडों से पीट-पीटकर मार डाला। डेंटिस्ट पंकज नारंग की निर्मम हत्या के बाद सोशल मीडिया में अफवाहों ने तूल पकड़ लिया। वारदात को फेसबुक, ट्विटर और अन्य साइट्स पर धार्मिक रंग देने की कोशिश की गई तो पुलिस के साथ-साथ खुफिया विभाग के कान भी खड़े हो गए। नतीजतन शनिवार को खुद पुलिस अफसरों को आगे आना पड़ा और सोशल साइट्स पर चल रही अफवाहों पर गौर न करने की सलाह देनी पड़ी। पुलिस अफसरों ने बताया कि इस वारदात में जो नौ आरोपी पकड़े गए हैं, उनमें से पांच हिन्दू हैं। मुसलमान आरोपी उत्तर प्रदेश का है न कि बांग्लादेश का जैसी मीडिया में अफवाह है। वारदात में शामिल नौ आरोपियों को पकड़ा जा चुका है जिनमें चार नाबालिग और एक महिला शामिल हैं। गुस्से या रंजिश में जान ले लेने की यह घटना पहली बार नहीं हुई है। रोजाना कहीं न कहीं इस तरह की घटना होती है। कभी सिगरेट नहीं देने पर तो कभी परांठा नहीं देने जैसी छोटी बात पर भी हत्या कर दी जाती है। अब सवाल यह है कि लोगों में इतना गुस्सा क्यों है? जो वे कानून हाथ में लेने से भी बाज नहीं आते। इसका सीधा जवाब है कि इस भीड़भाड़ वाले शहर में लोग बेहद तनाव में रहते हैं। ऐसे में छोटी-छोटी बातों पर बेहद गुस्से में आकर ऐसी वारदात को अंजाम दे देते हैं।

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